बुंदेलखंड : एक सांस्कृतिक परिचय - खजुराहो में सैनिक-चित्रण (Soldier depiction in Khajuraho)

बुंदेलखंड : एक सांस्कृतिक परिचय 

खजुराहो में सैनिक-चित्रण (Soldier depiction in Khajuraho)

खजुराहो की प्रतिमाओं में सैनिक जीवन का चित्रण बड़ी सूझ- बूझ से किया गया है। सैनिक उपयोग में हाथी, घोड़े तथा पदाति सैनिकों के उपयोग किए जाने का प्रमाण मिलता है। हाथियों के अनेक झुंड भी अंकित किए गए हैं। लक्ष्मण मंदिर की एक प्रतिमा में घुड़सवार छत्र का भी प्रयोग करते थे। यहाँ के घुड़सवारों में तीर- कमान देखने को नहीं मिलते हैं। घोड़ों की अनेक चाल प्रतिमाओं में देखने को मिलते हैं। घुड़सवार के पास प्रायः तलवार, भाला और ढ़ाल पाये जाते हैं, जबकि हाथी पर सवार सैनिक भाले का ही प्रयोग करते दिखाए गए हैं। घोड़े सुसज्जित और 
उनकी काठियाँ सुंदर हैं। सैनिकों को चलते दिखाए गए हैं। कई प्रतिमाओं में ऊँट, घोड़े, पदाति सैनिक नाचते- गाते अंकित किए गए हैं। युद्ध के दृश्यों में घुटनों पर बैठे हुई स्थिति में युद्ध दिखाया गया है। कुछ दृश्यों से सुरक्षा के लिए पदाति सैनिकों का उपयोग साफ झलकता है। 

खजुराहो की प्रतिमाओं में सुरक्षा कार्य के लिए नारियों का भी उपयोग किया गया है। कुछ प्रतिमाओं में नारियों को तलवार, खं तथा तीर- कमान के साथ अंकित किया गया है। दुल्हादेव मंदिर में एक स्री को तलवार चलाने का अभ्यास करते हुए दिखाया गया है। सुरक्षा कार्य में व्यस्त सैनिकों के मनोरंजन के लिए नृत्य, बांसुरी, मंजीरे जैसे साधन का उपयोग दिखाया गया है। कंदरिया महादेव मंदिर में नाचने- गाने वाले स्री- पुरुष को सैनिकों के साथ मिलकर नाचते- गाते दिखाया गया है। विश्वनाथ मंदिर की एक प्रतिमा से स्पष्ट होता है कि सैनिक शराब भी पीते थे।

युद्ध में प्रयुक्त होने वाले बहुत से साजो- सामान का चित्रण विभिन्न मंदिरों में मिलता है। जैसे, तलवार- विश्वनाथ मंदिर, छुरा एवं माला- विश्वनाथ मंदिर, गदा एवं कुल्हाड़ी- लक्ष्मण मंदिर। लक्ष्मण मंदिर, विश्वनाथ मंदिर या दूल्हादेव मंदिर में ढाल के उपयोग का चित्रण किया गया है।

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Courtesy: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र