चौधरी चरण सिंह रसिन बांध की कहानी - किसान है बेपानी !


चौधरी चरण सिंह रसिन बांध की कहानी - किसान है बेपानी !


पूर्व केंद्र की कांग्रेस - मनमोहन सरकार ने बुंदेलखंड को सूखे और जल संकट से बचाने के लिए बुन्देलखंड पॅकेज की नीव रखी थी ! सात जनपद उत्तर प्रदेश के और 6 जिले मध्यप्रदेश के इस भारीभरकम धनराशी से आज भी सूखे है. सरकारों ने किसान को पानी और खुशहाली के सपने दिखलाये लेकिन सिस्टम में दुर्गन्ध देती व्यवस्था ने इस बुन्देलखंड पॅकेज को भी नही बख्सा.उजाले के हिजाब में बनाया गया विशाल बांध भी किसानो को बेपानी कर गया और इस साल माह सितम्बर वर्ष 2015 में जेठ के महीने में बुंदेलखंड का बाँदा बड़े जल संकट की तरफ है. किसान की मायूसी को सामने लाती रसहीन बांध पर ये रिपोर्ट |

चित्रकूट और बाँदा की सीमा को जोडती बुंदेलखंड की धरती में बुंदेलखंड विशेष पैकेज के 7266 करोड़ रुपए के बंदरबांट की पोल पहले भी बंधी और चैक डैम खोल चुके है, लेकिन पैकेज के इन रुपयों से किसानों की जमीन अधिग्रहण कर बनाए गए बांध से सिंचाई के लिए पानी देने का दावा तक साकार नहीं हो सका.

चित्रकूट की सरहद पर रसिन ग्राम पंचायत से लगे हुए करीब एक दर्जन मजरों के हजारों किसानों की कृषि जमीन औने -पौने दामों में सरकारी बल पर छीनकर उनको सिंचाई के लिए पानी देने के सब्जबाग दिखलाये गए. बुंदेलखंड पैकेज के रुपयों से खेल कैसे होता है इसकी बानगी है ये बांध. रसिन का किसान ब्रजमोहन यादव जिसको आज तक मुआवजा नही मिला उसने आत्महत्या कर ली. इसी बांध के एक बड़े हिस्से के जंगल को काट दिया गया जिससे किसान और आदिवासी ईधन का जुगाड़ करते थे.

उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के मातहत बने चौधरी चरण सिंह रसिन बांध परियोजना की कुल लागत 7635.80 लाख रुपए है, जिसमें बुंदेलखंड पैकेज के अंतर्गत 22.80 लाख रुपए पैकेज का हिस्सा है, शेष अन्य धनराशि अन्य बांध परियोजनाओं के मद से खर्च की गई है. बांध की कुल लंबाई 260 किमी है और बांध की जलधारण क्षमता 16.23 मि. घनमीटर है. वहीं बांध की ऊंचाई 16.335 मीटर और अधिकतम जलस्तर आरएल 142.5 मीटर, अधिकतम टॉपस्तर आरएल 144 मीटर बनाई गई है. इस बांध से जुड़े नहरों की कुल लंबाई 22.80 किमी आंकी गई है.

गौरतलब है कि बुंदेलखंड पैकेज के अंतर्गत 22.80 लाख रुपए ( करीब 23 करोड़ रूपये ) इस बांध में गर्क होने के 4 साल बाद अब जब आप इस बांध को देखेंगे तो बुंदेलखंड पॅकेज का रुपया सात जनपद में कैसे बन्दर बाट किया गया है बसपा सरकार में इसकी तस्दीक हो जाएगी.इस बांध स्थल के किनारे बना ईको पार्क और गौतम बुद्ध की प्रतिमा जो करीब 5 करोड़ के आस पास रही होगी अब आंधी में उड़ चुकी है !...पार्क में लगाये हिरन,जिराफ,आर्टिफिशियल झरने,पीओपी से बने लाइट लैम्प ( जिनमे बालू भरकर काम चलाया गया था) अब धड़ाम हो गए है. इस बीहड़ में इस पार्क का औचित्य पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ही बतला सकती है क्योकि उन्हें और उस समय उनके चाटुकार अफसरों को गौतम बुद्ध से अधिक इश्क रहा है ! बांध स्थल पर बना कंट्रोल रूम अब स्थानीय रहजनों के ऐयाशी- गर्म गोश्त खाने का अड्डा है ! उसके कमरे के अन्दर कांच से सजी खिड़की उखड़ गई है और फर्श के टाइल्स तो अन्ना जानवरों की आवा जाही से इस बियाबान बीहड़ में बने 5 करोड़ के पार्क का मजाक उड़ाने को मजबूर है आखिर किसानो के हिस्से का सरकारी धन ऐसे बंदरबाट करने से बेहतर है ये योजनाये लागू ही न की जाये |

By: Ashish Sagar