(News) कालिंजर किले मे मिला 500 साल पुराना शाही अभिलेख


कालिंजर मे मिला 500 साल पुराना शाही अभिलेख
500 Years old Shahi Inscription found inside Kalinjar Fort


https://bundelkhand.in/sites/default/files/Kalinjar-me-mila-500-sal-purana-abhilekh_1.jpg

बांदा के ऐतिहासिक कालिंजर दुर्ग में शिलालेखों और दुर्लभ मूर्तियों की तलाश में जुटे पुरातत्वविदों को एक और सफलता मिली है। खोजकर्ताओं को पत्थर पर लिखा एक संदेश हाथ लगा है, जो करीब 500 वर्ष पुराना बताया जा रहा है।

फारसी भाषा में लिखे इस शिलालेख के बारे में अनुमान है कि यह बादशाह शेरशाह सूरी की मौत के बाद के काल का है। उनके ज्येष्ठ पुत्र इस्लाम शाह ने दो बाई दो फीट आकार के इस पट पर 60 लाइन का यह संदेश लिखवाया था। इसकी प्रमाणिकता की जांच के लिए इसे अब मैसूर स्थित अध्ययनशाला में भेजा जाएगा।

कालिंजर दुर्ग में दिलचस्पी रखने वाले कुछ पुरातत्वविद इस प्राचीन दुर्ग का असली और प्रमाणिक इतिहास लिखना चाह रहे हैं। इसके लिए वह लंबे अरसे से किले व उसके इर्दगिर्द पुरातन वस्तुओं की खोजबीन कर रहे हैं।

इस काम में प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक आईपीएस विजय कुमार भी शामिल हैं। इस अभियान में अब तक 180 अति महत्वपूर्ण ऐतिहासिक शिलालेख खोजे जा चुके हैं। अभियान पूरा होने तक 300 शिलालेख मिलने के आसार हैं।

कालिंजर विकास संस्थान के संयोजक बीडी गुप्त ने इस शिलालेख के बारे में बताया कि मई, 1545 को शेरशाह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र इस्लाम शाह की दिल्ली के सिंहासन पर विधिवत ताजपोशी हुई थी। इसके तत्काल बाद अजेय दुर्ग (कालिंजर) को लगभग एक साल तक घेरे में लेने के बाद शुकराने की नमाज अदा करने के लिए आननफानन में यह मस्जिद बनवाई गई थी।

किले के अंदर बने कोटि तीर्थ परिसर के मंदिरों को तोड़कर उनके सुंदर नक्काशीदार स्तंभों आदि को मस्जिद में इस्तेमाल किया गया था। मस्जिद के बगल में खुत्बा (संबोधन) पढ़ने के लिए एक प्लेटफार्म बनाया गया था। इसी में बैठकर इस्लाम शाह ने यह शाही फरमान सुनाया था।

साथ ही घोषणा की थी कि अब यह कालिंजर तीर्थ नहीं रहेगा। बुतपरस्ती हमेशा के लिए खत्म। कालिंजर दुर्ग को शेरशाह की याद में शेर कोह के नाम से जाना जाएगा। श्री गुप्त ने बताया कि कालिंजर के यशस्वी राजा और रानी दुर्गावती के पिता कीर्ति सिंह और उनके 72 सहयोगियों की हत्या इस्लाम शाह ने की थी।

इस शिलालेख से पहले यहां गुप्त कालीन महत्वपूर्ण अभिलेख किले की मृग धारा में मिले थे। कोटि तीर्थ प्रतिहार गुप्त कालीन शंख लिपि के दुर्लभ शिलालेख भी मिले हैं। सीता सेज में भी बड़ी संख्या में शिलालेख मिले हैं। सभी को मैसूर स्थित शिलालेख अध्ययनशाला में विशेषज्ञों के पास भेजा जाएगा।

Read More...

Courtesy: Amar Ujala