बुंदेलखंड की नदियों का प्रेरणा स्थल- सिंघा श्रोत (अभिमन्यु भाई)

बुंदेलखंड की नदियों का प्रेरणा स्थल- सिंघा श्रोत -

चित्रकूट जनपद के मऊ विकास खंड की बरगढ़ न्याय पंचायत की ग्राम सभा गोइया मे मादा नदी और सिंघा जल श्रोत है जो नदी की तरह है ,इसकी कुल लम्बाई ३ किमी है. उदगम स्थान सत्यनारायण नगर के झलरी बाबा से है। यह नेवादा से होता हुवा बरदहा घाटी मध्य प्रदेश में मादा नदी में मिलता है। यह अविरल बहने वाली नदी के रूप में जाना जाता है। वर्ष २०११ में पहली बार सूखा। इसके सूखते ही पशु मरने लगे। अब यह बुंदेलखंड की सभी नदियों के पुनर्जीवन के लिए प्रेरणा श्रोत ही नहीं बल्कि सभी नदियों के पुनर्जीवन का अगुवाकर्ता दिख रहा है -इसकी अधूरी कहानी को पूरा करने के लिए बरगढ़ के युवाओ ने ८ जून २०१४ गंगा दशहरा नदी जागरण यज्ञ प्रारम्भ करने जा रहे है। जो नदी सत्याग्रह का प्रतीक है।

सिंघाश्रोत की अधूरी कहानी -

फरवरी ०११ में सिंघाश्रोत बहरा ( नियमित बहने वाला नाला /नदी ) सूखा पड़ा था और बेशर्म की झाड़ियो से ढका था। १९ फरवरी २०११ को मै फ्रांस के युवा एलेक्सी रोमन ,अमेरिका के जैफ फ्री मैन तथा बरगढ़ के युवाओ के साथ सिंघाश्रोत नाले में बने चेकडैम का आंकलन कर रहे थे। इसी बीच नाले के नीचे से कुछ महिलाओ ने आवाज दी कि भइया जी रुकिएगा। सघन झाड़ियो को चीरते हुवे भौटी की सावित्री रानी सहित कुछ महिलाओ को देखा उनकी आँखों में आंशू थे। उन्होंने ने कहा कि आप जिस चेकडैम को देखरहे थे उसने इस बहरा को सुखा दिया। इसके सूखने के कारन फसल सूख गयी और इस वर्ष खाने के लिए अनाज खरीदना पड़ेगा --मजदूरी भी नहीं मिल रही कैसे बच्चे पलेगे। चेकडैम बहते हुवे नदी / नाले सूखा देता है --यह बात मेरे लिए बड़ी थी। सभी महिलाओ से कहा कि हिम्मत न तोड़ो रास्ता मिलकर खोजेंगे। कल पूरे ग़ाँव के साथ बैठेंगे जन्हा से बहरा निकला है।

नदी की हत्या किसने की -

दूसरे दिन हम लोग सत्यनारायण नगर में बहरा के उद्गम स्थल सिंघाश्रोत गए। सावित्री सत्यनारायण नगर गांव के ग्राम वासियो के साथ बैठक की प्रतीक्षा में थी। सिंघाश्रोत जल श्रोत को पहली बार देखा। कुछ जगहों में पानी सिसिक रहा था। बरगद का पेड़ जिसके भरोसे पूरा गांव टिका है उसे सब पूजते है। गांव के देवता है जिनका नाम झलरी बाबा है। यह पेड़ नदी के किनारे उचाई पर था और नदी की तरफ नीचे की मिटटी कट गयी थी। लगता था कि इस बरसात में पेड़ चला जायगा। गांव के किनारे पेड़ो के नीचे बैठक हुवी। बहरा (नदी ) के बारे में गांव के सभी लोगो ने बताया कि इसमे बहुत पानी था कभी सूखता नहीं था पहली बार जनवरी में ही सूख गया।पशुवो और जीव जन्तुवो के लिए सिंघा श्रोत सहारा था। यह ३ किमी तक अनवरत बहता है था।सिंघा श्रोत के ५ किमी परिधि के गांव में पशुवो के पानी का हा हा कार मचा है। मैंने पूछा कि यह आपकी नदी --सूखी क्यों ?गांव की महिलाओ ने बताया कि -नदी के किनारे पेड़ बहुत थे। उसको प्रधान जी ने मिड दे मील के तहत कटवाए कुछ हम लोगो ने काटे। पेड़ो के कटने से नदी के जल श्रोत धीरे -धीरे सूख गए। भाई राम बदन ने बताया कि सरकार ने १ किमी के बीच बड़े -बड़े २ चेकडैम बना दिए। नदी का बहना रुक गया और मिटटी बड़ी मात्रा आगयी सब जल श्रोत भट गए। तब मैंने कहा की आपने ने अपनी नदी की हत्या स्वयं मिलकर की है। नदी का पुनर्जीवन आपको ही करना है -इस पर मैंने गांव के लोगो को ;अलवर राजस्थान में नदियों के पुनर्जीवन की कहानी सुनाई।जो जल परुष राजेंद्र सिंह की अगुवाई में बनी थी। इस कहानी से प्रेरित होकर गांव की ५ -७ महिलाये आगे आयी पूर्व प्रधान और नदी में श्रमदान और पेड़ो की रक्षा तथा नदी के किनारे शौच न करने का संकल्प लिया।

नदी पुनर्जीवन की पहल

२१ फ़रवरी २०११ को गांव की महिलाओ बच्चो मिलकर ने सिंघा श्रोत के आस पास खुदाई प्रारम्भ की। दूसरे दिन पुरुष भी आने लगे। धीरे -धीरे रिश्तेदारो भी मदद की। कुछ लोगो ने फावड़े का दान दिया। ४ दिन की खुदाई का परिणाम था की सूखी नदी बहने लगी। सभी के मन में कौतुहल था। प्रकाश बहुत छोटा था उसने पूछा कि नदी कैसे मरती है कैसे जीवित होती है को जाना। अखवारों ने नदी पुनर्जीवन को बड़े उत्साह से छापा। इस पर श्रम दान करने वालो में पूर्व व् वर्तमान सांसद श्री श्यामाचरण गुप्त ,निवर्तमान ब्लाक प्रमुख भारत पटेल ,पर्यावरण इंजिनियर डा जी डी अग्रवाल वर्तमान में गंगा सेवक स्वामी सानंद तथा जल परुष राजेंद्र सिंह भी थे।

भूख सह कर किया श्रमदान

श्रमदानियो के घरो में भोजन का अकाल आगया। इनके बच्चो ने बरगढ़ बाजार में भीख मांगी -होली मानाने के लिए घर में अनाज नहीं कोटे से अनाज खरीदने की क्षमता सत्यनारायण,कईमहई तथा भौटी के श्रमदानियो के घरो में नहीं थी। ग्राम प्रधान हरी लाल पाल ने नदी खुदाई श्रमदान को मनरेगा में जोड़ने का आश्वासन २५ फ़रवरी -०११ को दिया था किन्तु -इस पर कार्यवाही न होने पर तत्कालीन बी डी ओ को पत्र लिखा और होलिका दहन पर आत्मदाह दाह की धमकी दी। बी डी ओ मऊ ने किसी प्रकार ३०० मीटर का काम स्वीकृत किया। समय पर धन नहीं मिला। सर्वोदय सेवा आश्रम सभी श्रमदानियो को कोटे से अनाज खरीदने और त्यौहार मानाने के लिए धन की मदद की।

असरकारी मनरेगा और सिसकती नदी

इस अदभुद कार्य को देखने पूर्व आई ए एस श्री कमल टावरी और निवर्तमान जिलाधिकारी चित्रकूट श्री दिलीप गुप्ता १६ अप्रैल ०११ को सिंघाश्रोत के जागरण को देखा। बहते पानी को देख कर प्रेरित हुवे । जनपद में मंदाकनी सहित कई नदिया सूख गयी थी -सभी जगह पानी का हाहा कार मचा था।समाधान की प्रेरणा ले कर उन्होंने ने जिले में आदेश जारी किये की सभी नदियों में मनरेगा लगाकर नदिया साफ कराइ जाय। पर यह कार्य आज तक नहीं हुवा। नदी सत्याग्रह क्या -

सिंघा श्रोत सहित बुंदेलखंड के समस्त जल श्रोतो की शुद्दता तथा नदियों को सदा नीरा /अविरल निर्मल बनाने के लिए समाज सरकार और नदी पर आधारित समुदाय के व्यौहार और जिम्मेदारियों की पहचान और समन्वय बनाने हेतु जागरूकता के कार्य जो सत्य के लिए समर्पित हो उन्हें तब तक करना और कराने की प्रेरणा देना जब तक उनमे शुद्धता के साथ बहने ताकत न आजाये और उससे जुड़े समाज की महिलाओ बच्चो में कुपोषण न दिखे ।

मिशन -जलश्रोतो/नदियों में लोकतंत्र स्थापित दिखे-

सत्याग्रह की मांगे -

१ - बुंदेलखंड की नदियों तालाबों में लोकतंत्र स्थापित हो तथा उनकी सफाई के काम मनरेगा से कराया जाय तथा ५ वर्षो तक के जबकार्ड और मजदूरो के मूल्यांकन के आधार पर नए जॉब कार्ड जारी किये जाय। फर्जी जॉब कार्डो की पहचान असली मजदूरो से कराये।

२ - बुंदेलखंड की खोई सूखी नदियों को नाम दिया जाय उन पर अवैध कब्जे हटाये जाये।

३- बुंदेलखंड के प्रत्येक जल श्रोत /नदी का सीमांकन जल उसका नियमित उपयोग करने वाले समाज के साथ कराया जाय। सीमांकन /नदी शरीर में किये गए पक्के निर्माण को हटाया जाय तथा रोक लगाई जाय।

४- नदियों में सभी प्रकार की गन्दगी जो सरकार द्वारा प्रायोजित है उसे समाप्त किया जाय।

५ - नदियों /पानी /जंगलो के विकास की योजनाये जैसे -सीवर ,सुंदरीकरण, जायका परियोजना ,बुंदेलखंड सूखा पैकेज आदि की समीक्षा की जाय तथा जल श्रोतो के नियमित उपयोग करने वाले समाज की समझ विकसित कर उनकी सहभागिता से परियोजनाएं बनाई जाय।

६ - प्राकृतिक दोहन की सीमा /मात्रा ग्राम पंचायत -समाज तथा सरकारी विभाग मिलकर तय करे और खनिज विभाग जल समाज और ग्राम पंचायत के निर्णयों के आधार पर खनिज पटटे दिए जाय -तथा गांव स्तर पर निगरानी समिति बनाई जाय।

७- गाँवो स्तर पर खनिज के कामो पर आश्रित गरीब परिवारो के जीवन स्तर का मूल्यांकन कराते हुवे गरीबी के सभी कार्ड दिए जाय और सरकार के द्वारा अब तक दिए गए लाभो का मापन कराते हुवे लम्बे समय से मजदूरी न पाने वालो,सरकारी लाभो से वंचित परिवारो तथा टी बी /दमे और खून की कमी से जूझ रही महिलाओ बच्चो तथा पिछले तीन वर्षो में मरे नवजात बच्चो /माताओ की पहचान कारण व् समाधान सामुदायिक संघठनो जैसे बाल रक्षा समिति ,युवा /बाल संसद /किसान क्लब /महिला मंडल अथवा समुदाय बैठको से कराइ जाय।

८ - खनिज के कामो से ऊबे तथा खनिज के कामो को कम करने वाले प्रयासों से मजदूरी से वंचित होने वाले परिवारो /समुदाय के लिए आजीविका के लिए नए अवसर चिन्हित किये जाय।

९ - खनिज से होने वाली आय ग्राम सभा में जमा कराइ जाय तथा गांव सभा को ४०% आय गांव के बच्चो के निर्माण व् विकास में खर्च करने के अधिकार दिए जाय और ग्राम सचिव गैर सरकारी और गांव के लिए समर्पित योग्य व्यक्ति नामित हो। - नदी सत्याग्रह के निम्न कार्यक्रम में आप सादर आमंत्रित है -

अ - नदी जागरण यात्रा गुइंया स्थित - झलरी बाबा प्रारम्भ से दिनाक ५ जून ०१४ को प्रातः १० बजे से -समाप्त ७ जून ०१४

ब - नदी जागरण यज्ञ गंगा दशहरा ८ जून ओ १४ को सिंघाश्रोत नदी तट पर प्रातः ८ बजे से ११ बजे तक -

स - सामूहिक उपवास गंगा दशहरा ८ जून ओ १४ को सिंघाश्रोत नदी तट पर प्रातः १० बजे से शाम ५ बजे तक

द - नदी खुदाई श्रम दान - गंगा दशहरा ८ जून ओ १४ को सिंघाश्रोत नदी में पर प्रातः ९ बजे आगामी एक सप्ताह से -प्रतिदिन प्रातः ७ बजे से १० बजे तक -

अभिमन्यु भाई