(Article) गरीब कि रोटी पर भी डाका  | रवीन्द्र व्यास

गरीब कि रोटी पर भी डाका 

[ रवीन्द्र व्यास ]
गरीब कि रोटी का एक बड़ा सहारा राशन कि दुकान भी होती है पर यह एक ऐसी सरकारी व्यवस्था है जो सिर्फ हाथी के दांतों कि तरह दिखावटी है | जिस तरह हांथी के दांतों पर बाहुबलियों का कब्जा रहता है  ठीक उसी तरह इस योजना पर भी डंडा तंत्र का कब्जा है | छतरपुर जिले का  किशनगढ़  इलाका आदिवासी  बाहुल्य है | इस छेत्र में आदिवासियों के साथ किस तरह खिलवाड़ किया जाता है इसकी बानगी देखने को मिली  यहाँ की सुकुवाहा ग्राम पंचायत में ७० फीसदी आदिवासी वा  ३० फीसदी हरिजन  बाहुल्य ,१२०० की आबादी वाले इस गाँव में लोगों को कई कई महीनो तक अंनाज नहीं मिलता | यहाँ पी.ड़ी.एस. वितिरण का सिस्टम भी काफी जोरदार  है| आधा सामान किसनगढ़  में मिलता है और आधा पल्कोंहा में ,दोनों की दूरी गाँव से २०-२० कि.मी.है | नतीजतन गाँव वालों को कभी सामग्री मिल ही नहीं पाती |इसी इलाके के गाँव मेनारी,घुगरी.,भवरखुआ,नेगुआ ,पटोरी,मतीपुरा ,टिपारी, नीमखेडा, जेसे गांवों में भी लगभग यही हालात है|

"बदहाली और बेबसी का दूसरा नाम है बुंदेलखंड"  यह एसे ही नहीं कहा जाता है यही वे सब कारण हैं जिसके कारण इसे बदहाल बुंदेलखंड कहा जाता है |,जहाँ भुखमरी के शिकार लोग आत्म ह्त्या को मजबूर होते है |  जिन कन्धों पर इस दशा के सुधार की जिम्मेदारी होती है वे ही इसे बदहाल बनाने के जिम्मेदार है |

सरकार वायदा करती है कि वह गरीबी क़ी रेखा के नीचे रहने वालों ,अति गरीबों को सस्ती दरों पर खाद्य सामग्री उपलब्ध कराती है और कराएगी | सरकार क़ी नियत पर लोगों को तब शक होने लगता है जब उसे बतलाई गई सुख सुविधा नहीं मिलती |  छतरपुर जिले  में ही बी.पी.एल. के ९७३१२, ए.पी.एल.के २१९०१३ ,अन्त्योदय के ३३५९९ कार्ड धारी हैं |इन लोगों पर किये गए सर्वेक्षण में बुंदेलखंड मीडिया रिसोर्स नेटवर्क को चौकाने वाले तथ्य मिले है| 

गरीब जनता के अंनाज पर दबंगों ,नेताओं ,का कब्जा है | गेहूं ,चावल ,तेल ,शक्कर ,खुले आम बाजार में बेंच दी जाती है|सत्ता के दबाव में अधिकारी उनके विरुद्ध कुछ करने क़ी स्थिति में होते नहीं इस कारण वे भी उन्ही के रंग में रंग कर मौज करते है |गांवों को छोड़िये शहर में लोगों को दो-दो माह में राशन मिल पाता है आधा अधूरा |गाँव में तो दबंगों का   जो फरमान होता है उसी के अनुसार सामग्री का वितिरण हो पाता है | बड़ा मलहरा छेत्र में एक गाँव है सूरज पुरा ,एक साल पहले इस गाँव के सेल्स मेन उमाशंकर मिश्रा को सिर्फ इसलिए पीटा गया था क़ी उसने गाँव के पप्पू राजा को तेल देने के स्थान पर बांटने क़ी जुर्रत क़ी थी | इसके बाद मामले क़ी रिपोर्ट हुई ,गाँव में वितरण व्यवस्था ना हो पाने पर यहाँ क़ी समिति को बमनी गाँव ट्रांसफर कर दिया गया था | साल भर तक लोगों को ठीक -ठाक सामान मिलता रहा | हाल में  यहाँ क़ी एम्.एल.ए.श्रीमती रेखा यादव ने इस मामले को विधान सभा में उठाया जिस कारण समिति पुनः सुरजपुरा गाँव आ गई | १७ मार्च को जब समिति के सेल्स मेन शंकर लोधी सामग्री वितरण हेतु पहुंचे तो राजा साब ५ में से ३ ड्रम जबरन उठा कर ले गए |

बिजावर में राशन सामग्री के बटने क़ी भनक लोगों को नहीं हो पाती है , इस विकाश खंड के २३ समिति प्रबंधकों ,सेल्स मेन के खिलाफ ऍफ़.आइ.आर.दर्ज कराने के आदेश हुए थे |कितु दर्ज मात्र तीन पर ही हो सकी | अंधियारा गाँव का समिति प्रबंधक जेल में है |पिपट का सेल्स मेन उसे ही बना दिया गया है जो जेल हो आया है | अंधियारा गाँव पुर्णतः आदिवासी बाहुल्य गाँव है |यहाँ लोगों को दो -तीन माह में सामग्री मिल जाती है |

पन्ना जिले के आदिवासी छेत्र कलदा ,श्यामरी ,पठार ,हल्दुआ ,खमरिया  में भी हालात बदतर है | इस इलाके का मिटटी का तेल कटनी और सतना में बिक जाता है | टीकमगण में सुधार के लिए एडवांस सिस्टम लागू किया गया है |

हालात बताते हें कि गरीब कि रोटी छीनने वालों का रेकेट इतना जबरदस्त है कि उन पर कोई कार्यवाही तो दूर उनके खिलाफ कोई आवाज भी नहीं उठा पाता है | ये इतने चाल बाज भी होते हैं कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सामान दो माह में सिर्फ एक बार बाँट कर अपने को पाक साफ़ बताने लगते हैं | इसी कारण १ से ७ तारीख तक बटने वाली सामग्री २५ से ३० तक बांटी जाती है | एक माह बाद वही सामग्री १से १५ के बीच बांटी जाती है |